कैसे छिपोगे
कैसे छिपापाओगे
अपने आने का संदेश
तुम्हारी चुलबुली शरारतें
इशारा कर देती हैं
तुम्हारे आगमन का
लाख छिपोगे फिर भी
गगन करेगा चुगली
भवरे, तितलियाँ और कोपलें
करेंगी तुम्हारा स्वागत
कैसे छिपोगे
कैसे छिपापाओगे
रोक पाओगे
गाव की पगडंडियों से
चली सरिता को
रोक पाओगे
पीली ओध्रनी में
इठलाती हवाओं को
कैसे छिपोगे
कैसे छिपापाओगे
मधुर मिलन की प्यास
जो कराएगी तुम्हारा अहसास
कैसे छिपोगे
कैसे छिपापाओगे
रोक पाओगे
पत्तियों को चूमती
ओस को
मुंडेर पर बैठे
पंछियों के शोर को
जो गुनगुनायेंगे
प्रिया के संदेश को
हो जाओ सचेत
ऋतुराज आ गया
ऋतुराज आ गया
ऋतुराज आ गया
वसंत छा गया
Wednesday, February 4, 2009
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आपका तहे दिल से स्वागत
ReplyDeletemitra maza aa gaya. esa lagta hai sachmuch basant mere samne khada hai...jai ho...jai ho
ReplyDeletebest of luck for the next...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletejo bhara nahi hai bhavo se jisme dhara ka pyar nahi vo hriday nahi patthar hai kala kalakar ke prati samman nahi
ReplyDeletedixant ji ur affort is really commendable. u should give more and more time to indulge in same creativity. few thing peo get form god as a blessings but most of the things we get from this muddy society and manipulate it according our comfart level. bcoz we all are humen being and always love to see and wants to be surrounded with beautifyll or LIVE energies.
friend never think what other comment on ur creations. always think like BSNL MOBILE Connection (always fail to connect even that lots of people carry the same connection).
sahi baat hai koun rok paya hai, koun rok sakega. rituraj basant ko. narayan narayan
ReplyDeleteउत्तम! ब्लाग जगत में पूरे उत्साह के साथ आपका स्वागत है। आपके शब्दों का सागर हमें हमेशा जोड़े रखेगा। कहते हैं, दो लोगों की मुलाकात बेवजह नहीं होती। मुलाकात आपकी और हमारी। मुलाकात यहां ब्लॉगर्स की। मुलाकात विचारों की, सब जुड़े हुए हैं।
ReplyDeleteनियमित लिखें। बेहतर लिखें। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मिलते रहेंगे।
वसंत आने पर सभी पर मस्ती आ ही जाती है। इसी मस्ती में रहकर आपकी कविता का रसास्वादन किया। मजा आ गया। बधाई।
ReplyDeleteश्याम बाबू शर्मा
http://shyamgkp.blog.co.in
http://shyamgkp.blogspot.com
http://shyamgkp.rediffiland.com
E mail- shyam_gkp@rediffmail.com
bahut badhiya dixantji
ReplyDeletevasant aata h to kisi ki kalam chalti h to kisi ki aankh, ritiraj ke swagat me hum bhi aapke saath h
dr bhanu pratap singh
बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteवसंत तो आ गया मित्र। लेकिन,आपकी बेचैनी भी जाहिर कर रही है ये कविता।
ReplyDeleteविवाह के लिए तैयार हैं आप। किंतु कोई सुनने वाला नहीं। सही कहा न.....
पीयूष पांडे
कविता को पढकर वास्तव में बसन्त का अहसास होगया।
ReplyDeleteभावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com