Tuesday, February 10, 2009

हर ओर सृजन

आए प्रेममास के पुलकित दिन
ऋतुराज की तरुनाई कहू इसे
या कहूं वसंत का यौवन
आए प्रेममास के पुलकित दिन

हर गुलशन गुलजार हुआ
हर भवरे को मिला निमंत्रण
आए प्रेममास के पुलकित दिन
इसकी सुबह, इसकी शामें, इसकी रातें
क्षण-क्षण मादक हर पल चंचल
आए प्रेममास के पुलकित दिन

विषबेल बन गई अमर बेल
बंजर में गुंजन करें फूल
आए प्रेममास के पुलकित दिन

चौखट-चौखट चंदा चमके
आँगन-आँगन बेला महके
बगिया में खिले गुलाबों पर
जूही रीझे चंपा अकुले
आए प्रेममास के पुलकित दिन

इठलाती नदिया भी रुक-रुक
सागर से हँसी ठिठोल करे
आए प्रेममास के पुलकित दिन

गुमसुम बच्चे भी करें शोर
जीवन की कैसी नई भोर
आए प्रेममास के पुलकित दिन

धरणी पर उतरे कामदेव
रमणी के दिल में उथल-पुथल
आए प्रेममास के पुलकित दिन

कैसी टूटन कैसी सिहरन
हर ओर सृजन हर ओर सृजन
आए प्रेममास के पुलकित दिन

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